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सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) बीएल यादव १९८६ में जालौन जनपद के एसएसपी रह चुके हैं। १९८६ में उनके बजरिया में आयोजित विदाई समारोह में दो-तीन हजार लोगों की भीड़ थी, जिससे इस जिले में उनकी लोकप्रियता का अंदाजा किया जा सकता है। बदले में बीएल यादव ने भी पदोन्नतियां पाने के बावजूद जालौन जनपद के प्रति अपना लगाव बनाए रखा। अपने सेवा के अंतिम दिनों में उन्होंने जालौन में पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज खुलवाने का अथक प्रयास किया। पहले ऐर में उन्होंने इसकी काफी कुछ तैयारी कर दी थी, लेकिन वहां पुलिस की जमीन ३३ वीं बटालियन पीएसी को दे दी गई। बाद में कालपी के पास चौरासी गुम्बद के करीब उन्होंने पीटीएस के लिए प्रस्ताव फाइनल करा दिया। बरेली में भी पीटीएस खोलने के लिए उस समय दस करोड़ रुपये की पहली किश्त निर्गत हुई थी, लेकिन वहां जमीन न मिलने से धन का इस्तेमाल नहीं हो पाया। बीएल यादव ने यह बजट जालौन में भिजवाने की सारी औपचारिकताएं पूरी कर दी थीं। इसी बीच ३० नवम्बर २०११ को वे रिटायर हो गए। बाद में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई।
अब उनके प्रस्ताव का अतापता नहीं है। अच्छी बात यह है कि इसी बीच जालौन जनपद में एक और एसएसपी रह चुके सूर्यकुमार शुक्ला पुलिस मुख्यालय के अपर महानिदेशक हैं। आज वे एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम के सिलसिले में यहां थे। उन्हें कालपी में पीटीएस खोलने के प्रस्ताव की जानकारी नहीं थी, लेकिन जब बताया गया तो उन्होंने काफी दिलचस्पी ली और वायदा किया कि वे जालौन के प्रति पुराने लगाव की वजह से अपने कार्यकाल में यह कार्य पूरा करा देंगे। इसको लेकर जालौन के एसपी नवनीत राणा से भी उन्होंने कागज भिजवाने को कहा, तथापि अधिकारियों की अपनी सीमाएं हैं। यह काम बड़ा है और जनप्रतिनिधियों को इसे कराने का बीड़ा उठाने की जरूरत है। संयोग से जिले के सांसद भी समाजवादी पार्टी से हैं और सदर के विधायक दयाशंकर वर्मा भी सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े हैं। अगर दोनों मिलकर मुख्यमंत्री से प्रस्तावित पीटीएस के लिए धन मांगेंगे तो शायद ही इंकार हो। आम लोगों को इन दोनों माननीयों पर इसके लिए दबाव बनाना चाहिए।
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