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बुंदेलखंड नहीं चम्बल राज्य की सोचें

बेबाक विचार, KP Singh (Bhind)
बेबाक विचार, KP Singh (Bhind)
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यह बात अब बहुत कम लोगों की याददाश्त में होगी कि एक समय मध्य प्रदेश के भिंड और उत्तर प्रदेश के इटावा को एक करने की कोई पहल हुई थी। यह तब की बात है जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पं. श्यामाचरण शुक्ल थे और उत्तर प्रदेश के चंद्रभान गुप्त। भिंड की गल्ला मंडी में दोनों मुख्यमंत्रियों ने संयुक्त सभा में यह पेशकश की थी। भले ही उस समय यह कोरा स्टंट रहा हो लेकिन जनसभा में उपस्थित अपार भीड़ ने इसे लेकर जो रिस्पांस दिया था वह मार्क करने लायक था। भिंड और इटावा के बीच मात्र साढ़े ३३ किलोमीटर की दूरी है बीच में क्वांरी, चम्बल और यमुना तीन नदियां होने के कारण जब पुल नहीं थे तब यह दूरी अनंत लगती थी। पर अब पुल भी है और बेहतर सड़क भी, भिंड से इटावा पहुंचने में सिर्फ बीस मिनट का वक्त लगता है। इन दोनों नगरों का एकीकरण हो जाए तो चम्बल के बीहड़ क्षेत्र में शानदार मेट्रोपॉलीटिन का नक्शा उभर सकता है। ग्वालियर को पंजाब के आतंकवाद के भीषण दौर में टिवन कैपिटल बनाने की सरगर्मी चर्चाओं के केंद्र में रही थी, लेकिन अब यह पेशकश भी याददाश्त के परे हो चुकी है। इस इलाके में लोगों ने पृथक बुंदेलखंड राज्य की मुहिम तो बहुत चलाई लेकिन चम्बल और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र में आने वाले इलाकों को एक अलग अंचल के रूप में कायम कर विकास की नई पहल के लिए कोई प्रयास नहीं हुआ। अगर यह प्रयास हो तो ज्यादा उपादेय हो सकता है। चम्बल यमुना का बीहड़ क्षेत्र जो कि पचनद क्षेत्र कहलाता है उसकी समस्याएं एक जैसी हैं। सामाजिक परंपराएं मिलती-जुलती हैं। इस इलाके के लोगों का पुरुषार्थ अदम्य है और यहां के लोग अभिनव सोच के भी धनी हैं। इनके बीच बंटवारा है जिसने अभी तक वह मुकाम इसको हासिल नहीं होने दिया, जिसका यह इलाका हकदार है। भिंड से आने के बाद मैंने जालौन को अपनी कर्मभूमि बनाया, जो मेरी जन्मभूमि भी है तो इसे मैंने और ज्यादा शिद्दत के साथ महसूस किया। इस इलाके के साथी मेरी इस सोच के बारे में क्या ख्याल रखते हैं इसे आपस में साझा करना काफी दिलचस्प हो सकता है।

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