दारा सिंह भारत में पहलवानी के एक युग की तरह स्थापित रहेंगे। उनकी शोहरत को फिल्मों में कैश कराया गया। एक समय जब हातिमताई, अलीबाबा चालीस चोर, अरेबियन नाइट्स, सिंदबाद और टॉर्जन जैसी लोक कथाएं और मिथक लोगों में छाए हुए थे तब एडवेंचर और पराक्रम पर आधारित दारा सिंह की फिल्में लोगों को बहुत लुभाती थीं। बाद में दारा सिंह हनुमान के रूप में टाइप्ड हो गए। मुमताज उनकी लम्बे समय तक हीरोइन रहीं जो भले ही उस समय थर्ड ग्रेड की हीरोइन मानी जाती हों, लेकिन बाद में रोटी, दो रास्ते, आपकी कसम जैसी फिल्मों में सुपरस्टार राजेश खन्ना की अपोजिट के रूप में उन्होंने ऊंचा मुकाम पाया। दारा सिंह के जीवन के कई अनछुए पहलू हैं। जब मैंने पूरी तरह होश नहीं संभाला था। रघुवीर सहाय के दिनमान में दारा सिंह पर एक लेख पढ़ा था। दारा सिंह ओलंपिक जैसे किसी मान्यता प्राप्त खेल आयोजन में कुश्ती का कोई पदक जीतकर कभी नहीं ला सके। दिनमान के लेख में था कि वे जो फ्री स्टाइल कुश्तियां लड़ते हैं दरअसल उसमें ट्रिक है असलियत नहीं। इसमें कोई नियम निर्धारित नहीं है। लेख के मुताबिक दारा सिंह के कुश्तियों के परिणाम पहले से तय होते थे। दिनमान के लेख में इशारा किया गया था कि दारा सिंह के चिर प्रतिद्वंद्वी किंगकांग के साथ उनकी कुश्तियां मनोरंजन व्यापार हैं, जिसमें दोनों साझेदार हैं और उनकी फ्री स्टाइल कुश्तियों से ज्यादा कमाई किसी पहलवान को नहीं हुई। बहरहाल जो भी हो दारा सिंह अच्छे इंसान थे, उनकी भावनाएं देशभक्ति से परिपूर्ण थीं। उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि….
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