चाहे बरसात का मौसम हो या कड़ाके की सर्दी पड़े जालौन जनपद के सैदनगर में सुबह 4 बजे रामधुन गाने वाली टोली प्रभातफेरी के लिए निकल पड़ती है। पिछले लगभग चार दशकों से सिलसिला चला आ रहा है जिसका नतीजा है कि यह गांव अमन और खुशहाली की मिसाल बन गया है। शनिवार को हर साल की तरह इसका वार्षिक समारोह धूमधाम से आयोजित हुआ। इस उपलक्ष्य में अखंड रामायण, कन्या भोज के साथ रात में बाहर से आयीं कीर्तन मंडली का जवाबी कार्यक्रम भी हुआ। आसपास के गांवों के लोग भी बड़ी संख्या में इस मेले में जुटे।
22 साल तक गांव के प्रधान रहे कुंज बिहारी मिश्र ने हर रोज रामधुन प्रभातफेरी निकालने की परंपरा की शुरूआत 1975 में उस समय की जब सैदनगर जो कि सिद्ध नगर का अपभ्रंश है, में जुआ, नशाबाजी व पार्टीबंदी के झगड़े जैसी कुरीतियां चरम सीमा पर पहुंच गयी थीं। सैदनगर पंचायत में देवी पुराण में वर्णित 2 शक्तिपीठ अक्षरा और रक्तदंतिका के नाम से बेतवा किनारे स्थापित हैं। ऐसे तीर्थस्थल की गरिमा धूमिल होना कुंज बिहारी मिश्रा को कचोट गया और उन्होंने इसके बाद गांव के लोगों की मनोशुद्धि के लिए हर रोज सबेरे रामधुन गाते हुए प्रभात फेरी निकलाने की रूपरेखा बनायी। उन्होंने एक-एक मोहल्ले को इकाई बनाकर 12 टोलियां गठित करायीं। हर टोली एक महीने तक हरमोनियम, झींका व मजीरा बजाते हुए सुबह 4 बजे से पूरे गांव का भ्रमण करने का जिम्मा संभालती है। सबेरे-सबेरे रामधुन की अलख से गांव का वातावरण सात्विक हो जाता है। यह क्रम लोगों की मनोवृत्ति बदलने में काफी सहायक साबित हुआ। कुंज बिहारी मिश्रा के भतीजे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव नारायण मिश्रा ने बताया कि कई वर्षों तक इस गांव का एक भी मुकदमा किसी भी थाने में दर्ज नहीं हुआ। कोर्ट कचहरी के चक्कर में भी काफी कमी आयी। अभी भी गांव में इक्का दुक्का मामले ही थाने पहुंचते हैं। यही वजह है कि लोगों ने इतने वर्षों बाद भी प्रभात फेरी के क्रम को हटने नहीं दिया है। भाद्रपद की अमावस्या के दिन इस परंपरा का वार्षिक समापन होता है। शुक्रवार को इस उपलक्ष्य में गांव के हर गली कूचे में 24 घंटे प्रभातफेरी निकाली गयी। शनिवार को सुबह 9 बजे सारी टोलियां एक साथ शंकरजी के मंदिर में एकत्रित हुईं। इसके बाद रामधुन यात्रा के रूप में उन्होंने पूरे गांव का भ्रमण किया। अखंड रामायण, कन्या भोज के साथ बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये। समापन के साथ आगामी वर्ष के लिए नयी टोलियों का गठन किया जाता है। मल मास होने के कारण 12 की बजाय इस बार 13 टोलियां गठित हुयी हैं। पहली टोली के नायक स्वयं सिद्धपीठ अक्षरादेवी के महंत हैं। इसके बाद शिवलाल यादव, ओमनारायण वर्मा, जयराम प्रजापति, लक्ष्मी समाधिया, उत्तम सिंह गौर, भगवत सिंह, रजक सिंह, जयप्रकाश, नृपत दादी, लाखन सिंह, हरगोविंद व नंदराम की अगुवाई वाली टोलियां क्रमवार अलग-अलग महीनों में प्रभात फेरी निकालेंगी। एक टोली में 25 से 50 तक लोग शामिल रहते हैं।
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