- 100 Posts
- 458 Comments
उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में आटा रेलवे स्टेशन के नजदीक परासन गांव में पितृ पक्ष के दौरान पुरखे बेतवा नदी में मत्स्यावतार लेकर आते हैं। इस लोक मान्यता के नाते पितृ पक्ष में प्रति वर्ष दूर–दूर के श्रद्धालुओं का समूह यहां पुरखों को आटा की गोलियां चुनाने आता है। मौरंग लदे ओवरलोड ट्रक चलने के कारण वर्तमान में रोड इतनी ऊबड़ खाबड़ हो चुकी है कि चंद किलोमीटर की दूरी यहां घंटों में तय होती है और उस पर भी तुर्रा यह कि सफर बेहद तकलीफदेह और जोखिम भरा होता है। नतीजतन यहां इस बार नाम मात्र के ही बाहरी श्रद्धालु आ सके।
के।
महाभारात कालीन महर्षि पाराशर का जन्म स्थान होने से परासन गांव को तीर्थ का दर्जा प्राप्त है। पितृ पक्ष यहां के लिए खास होता है जब बेतवा में डेढ़ दो फिट तक लंबी मछलियां मंदिर के नीचे बने घाट पर रहती हैं। में तो लगभग आदमकद मछलियों के दर्शनहोते थे जो आटा का पूरा पिंड श्रद्धालुओं के हाथ से गपक कर लील लेती थीं। कई श्रद्धालु तो मछलियों को अपने अंक में भरकर निशानी के तौर पर उनकी नाक में सोने का छल्ला पहना देते थे। बाद में अवैध शिकार के चलते मछलियां जन समुदाय से डरने लगीं। पिछले तीन वर्षों से तो मछलियों का आना ही बंद हो गया था। इस बार जब मछलियां खूब आयीं तो लोग नहीं आ सके। सड़क कितनी खराब है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब मैं अपने कुछ साथियों के साथ चले तो आटा से परासन तक का किलोमीटर का सफरसुबह साढ़े तीन बजे से चलकर बज गयेतब कहीं पूरा कर पाए। लोग चार बजे से ही मछलियां चुगाने के लिए जुटना शुरू हो जाते हैं। बजे तक खासी भीड़ हो जाती है। जन कोलाहल बढऩे पर मछलियां किनारे से खिसककर बीच नदी में पहुंच जाती हैं। पहले की तरह मछलियां पानी से उछल कर बाहर आने का साहस अब नहीं करतीं। अब पूरे दर्शन न कर श्रद्धालु नदी में खड़े होकर पैरों के पास उनकी गुदगुदी का अहसास कर लेते हैं। आटे की गोलियां भी हाथ पानी के अंदर डालकर उन्हें चुगानी पड़ती हैं। मछलियों के जबड़ों में श्रद्धालुओं का पंजा चला जाता है लेकिन वे कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं।
गांव के निवासी और पूर्व जिला पंचायत सदस्य करन सिंह ने बताया कि पितृ पक्ष में आने वाली यहां की मछलियां असाधारण रूप से बड़ी होती हैं और केवल इसी अवधि में रहती हैं। पितृ पक्ष समाप्त होते ही मछलियां विलीन हो जाती हैं। यह अपने आप में परासन के सिद्ध स्थान होने की पुष्टि करने वाला तथ्य है। इसके बावजूद यहां का सुंदरीकरण नहीं कराया गया है। पर्यटन विभाग ने यहां के लिए पूर्व के वर्षों में बजट तो जारी किया लेकिन नाम मात्र का। सहायक निदेशक मत्स्य आरडी प्रजापति ने बताया कि परासन के विलक्षण मत्स्य दर्शन पर विभाग द्वारा कोई शोध कराये जाने की कभी पहल हुयी यह उनकी जानकारी में नहीं है।
Read Comments